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Showing posts from December, 2018

15 Amazing Benefits & Uses Of Sapodilla / Chikoo

Image: Shutterstrock Sapodilla, mainly known as Chikoo in the Indian sub continent, is a member of the Sapotaceae family in Central America. In Mexico, sapodilla is grown commercially for making chewing gum. The consumption of sapodilla is recommended in herbal medicine as it has an uncountable number of medicinal uses. The sapodilla fruit is brown in color. It has a kiwi fruit-like texture but the outer surface is without any fuzziness. The pulp of the fruit is unripe with sticky latex called saponin. As Sapodilla ripens later on, the white latex gradually disappears. Sapodilla contains three to five black, smooth, shiny, bean-shaped inedible seeds located at the center of the fruit.  The taste of Sapodilla is nice and it can be compared to some extent to pears.   Types of Sapodilla or Sapota: 1. Brown Sugar: This member of the Sapodilla family was introduced in 1948. This version is granular, fairly sweet, luscious and very aromatic. Its structure is quite

Sedative addiction and anxiety on the rise among children, reports show(hindi )

88% of calls made to Childline about anxiety were from girls, the group said. भय ,चिंता या अनिश्चय की भावना विशेषतया भविष्य के प्रति आधुनिक जीवन  शैली की दाय एंग्जायटी (बे -कली,बे -चैनी ,ओतुसुक्य ,आतुरता )कहलाती है।  कुछ दवाएं होती हैं नशीले पदार्थ होते हैं जिनका इस्तेमाल इसके प्रबंधन में किया जाता है इन्हें चित्त शामक या सिर्फ शामक (सेडेटिव )कह दिया जाता है। लेकिन यही एक किस्म की नशीली दवाएं जब आदतन खाने से लत पड़  जाने पर खुद रोग बन जाएँ तब क्या कीजियेगा ? ब्रितानी नौनिहालों की आज यही दुरावस्था है खासकर किशोरियां इसकी लपेट में ज्यादा आ रहीं हैं। पढ़िए ये रिपोर्ट क्यों हो रहा है ऐसा ? इस स्थिति से निजात दिलवाने के लिए सलाह मशविरा देने वाली ब्रितानी संस्था एनएसपीसीसी (फोन पर बालकल्याण हेतु सलाह मशविरा देने वाली यह राष्ट्रीय सेवा है  )मौजूद है।  बकौल इस संस्था के २०१७ में २०१६ की वनिस्पत ५५ फीसद अधिक नौनिहाल इस सेवा का लाभ लेने के लिए फोन पर आगे आये। प्रत्येक दस काल में से नौ काल किशोरियों के थे।  अलावा इसके इसी बरस संस्था को २४ ,५४९ (चौबीस हज़ार पांच सौ उड़नच

हम हैं तुम्हारे तलब -दार हो जनाबे पिज़्ज़ा , हम को तुमसे है प्यार ओ ललकऊ पिज्जा।

हम हैं तुम्हारे तलब -दार हो जनाबे पिज़्ज़ा , हम को  तुमसे है प्यार  ओ ललकऊ  पिज्जा।  माहिरों के अध्ययन में पिज़्ज़ा को सबसे तलबी खाद्य माना गया है ,इसका चस्का लग जाता है ललक पैदा होने लगती है ललचाने लगता है लती कारक पिज़्ज़्ज़ा आखिर क्यों ?आइये सरसरी तौर पर ज़ायज़ा लेते हैं : इसमें मौजूद धुर (शीर्ष )अवयवों को देखिये -एक छोर पर इसमें वसा (चिकनाई ,फैट )है ,शक्कर (शुगर )है ,नमकीनियत  के लिए नमक है।यही तिकड़ी दिमागी कोशिकाओं के एक समान गुणधर्मा समूह -न्यूरानों को पुरुस्कृत करके तृप्ति का एहसास हम तक पहुंचाती है।  पिज़्ज़ा की ऊपरी तह का कुर -कुरापन ,चीज़ का नरम और चिपचिपा होना ,सॉस का लेसदार होना मिलकर इसे एक ख़ास सेवरि स्वाद और खुश्बूओं   से भर देते हैं। दिल और दिमाग दोनों को खुश मिज़ाज़ बना देता है यह स्वाद। उल्लेखित खाद्य तिकड़ी में चीज़ तो अपनी जगह  खुद ही तलब पैदा करने वाली शै है फिर इसका ब्रेड और सॉस संग  मेल इसे चस्के तक ललक तक ले आता है।  पिज़्ज़ा -हट में ओवन से  उठती हुई खशबूएं नथुनों को वैसे ही भर देतीं हैं जैसे कॉफी बीन्स की उड़ती हुई बू जो दिमाग तक खुद- ब-खुद पहुँच जाती है।  ऐन्द्रिक माय

Tackling climate change could save millions of lives, report says(HINDI )

कोई ऐसा अनहोना लक्ष्य नहीं है जिसे २१०० तक लागू न किया जा सके। इतना ही तो है के (वायुमंडलीय एवं भू - ) तापमानों का  पूर्व उद्योगिक युग में जितना स्तर था हमारा कार्बन आउटपुट उसके ऊपर तापमानों को २ सेल्सियस की वृद्धि से ऊपर न जाने दे।  पेरिस जलवायु सहमति (२०१५ )में उल्लेखित लक्ष्य यही था। इस लक्ष्य के करीब पहुँचने का मतलब है जीवश्म ईंधनों का विकल्प ,खपत में भूमंडलीय कमी फलतया वायुप्रदूषण में एक स्तर तक कमी लाना ,ताकि २०५० तक हर बरस दस लाख लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सके. घर के बाहर और भीतर का  वायु प्रदूषण  हर साल सत्तर लाख लोगों को मौत के मुंह में धकेल रहा है। दुखद और निराशा पूर्ण है अमरीका का गए साल २०१७ में पेरिस जलवायु समझौते से पल्ला झाड़ के अलग खड़े हो जाना।  २४ वीं आलमी बैठक इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए इसी मकसद से हो रही है जिसमें जलवायु विनियमन से ताल्लुक रखने वाले नियम और उनकी अनुपालना कैसी और कितनी हो रही है .COP 24 यानी चउबीसवाँ संयुक्त राष्ट्रसंघीय फ़्रेमवर्क (बुनियादी ढांचा सम्बन्धी )सम्मलेन (कन्वेंशन )इसी मकसद से आहूत किया गया है।  संयुक्त राष्ट्