Skip to main content

कफ की समस्या है :दूध पीने से नहीं होगा नुक्सान


कफ की समस्या है तो भी पीते रहें दूध, नहीं होगा नुक्सान। खानपान में भी वर्जनाओं का प्रवेश कई चीज़ों को लेकर देखा जाता है खांसी जुकाम ,पुराने बलगम में दूध न पीने की सलाह भी कुछ - कुछ ऐसी ही है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।बेहद नुकसानी उठानी पड़ सकती है इन गफलतों की।  


यथार्थ :

दूध और दुग्ध उत्पाद लेने से कफ नहीं बनता है इसके विपरीत डेयरी प्रोडक्ट्स न लेने से ,पोषकता की कमी से ,मांसपेशियों में दर्द ,बेहद की थकान और अस्थियों के घनत्व में गिरावट आ सकती है अस्थियां (हड्डियां )कमज़ोर होकर हलकी फुलकी चोट लगने से भी टूट सकतीं हैं। 
COPD -Chronic Obsessive Pulmonary Disease

 या पुरानी चली आई फेफड़ों की थैलों में सूजन एवं संक्रमण से Chronic Bronchitis से जुड़ी लाइलाज बीमारी है जिसमें सांस नालियों में सूजन आ जाती है। असरग्रस्त व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। वजन में गिरावट आने लगती है अगर वक्त पर इलाज़ मयस्सर न हो तो मर्ज़ लाइलाज COPD SYNDROME चरण में तब्दील हो जाता है। 

इस मर्ज़ के दुनियाभर में तकरीबन सात करोड़ और अकेले भारत में कोई तीन करोड़ मामले हैं। इस लाइलाज बीमारी की ओर  आम औ ख़ास की तवज़्ज़ो के लिए हर बरस नवंबर माह का तीसरा बुधवार "COPD DAY "के रूप में ऑब्ज़र्व किया जाता है। 

आइये थोड़ा और खुलासा करते हैं इस बीमारी का :

जैसा हम बता चुके हैं यह एक फेफड़ों से जुडी बीमारी है। श्वांस नालियों में आई सोजिश से इसमें मरीज़ को सांस लेने में खासी दिक्कत महसूस होती है। क्योंकि इस बीमारी में मरीज़ के फेफड़े ही संक्रमित होते हैं ,इलाज़ में चूक होने से दिल औ दिमाग भी असरग्रस्त हो सकते हैं ऐसा रोग में इलाज़ ठीक न होने पर ऑक्सीजन  की कमी से होता है।

मांसपेशियों के अलावा हड्डियों में भी कमज़ोरी आ जाती है। इसी स्थिति को COPD SYNDROME कहा जाता है। 

इस स्थिति में दवा दारु के अलावा मरीज़ को फेफड़ों से सम्बन्धी पुनर्वास चिकित्सा  (Pulmonary Rehabilitation Therapy )की भी ज़रूरत पड़ती है।

दूध न लेने के नुक़सानात :

क्योंकि इस मर्ज़ में बार -बार सफ़ेद बलगम(Cough ) बनता है दूध का नियमित सेवन इसकी मात्रा में कमी लाता है। दूध न लेने से मांसपेशियों को पोषण न मिलने से कमज़ोरी  आ जाती है ,थकान महसूस होती हैं हड्डियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं। ऐसे में हड्डियों के बात बे -बात टूटने का ख़तरा बढ़ जाता है। वजन में गिरावट आती है। 

COPD के लक्षण 

दमा ,सांस की शिकायत जैसे ही लक्षण यहां मौजूद रहते हैं। सांस लेने में सीटी बजना ,व्हीजजिंग ,सीने में जकड़न ,बलगम का ज्यादा बनते रहना ,वजन का गिरना ,बे -दमी (सांस लेने में कमी दर्ज़ होना )थकान आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। 

Risk Factors -रोग के जोखिम का वजन बढ़ाने वाले कारक 

धूल -धुआं ,गर्दगुबार ,धूम्रपान की लत ,दिल्ली के अलावा भारत के चउदह  ,सानफ्रांसिस्को के अलावा केलिफोर्निया राज्य के तीन और बेहद प्रदूषित नगर ,चीन के  अनेक प्रदूषित नगर आज नौनिहालों में मधुमेह की तो वजह बन ही रहे हैं,इस रोग के खतरे का वजन भी बढ़ा रहे हैं।

अमूमन रोग निदान, नैदानिक यानी क्लीनिकल सिम्पटम्स ,रोग के लक्षणों के आधार पर ही तय हो जाता है।
रोग को पुख्ता करने के लिए सीने का एक्सरे (chest x -ray )फेफड़ों के प्रकार्य (pulmonary function test ) की जांच आदिक भी की जाती है। इससे रोग की गंभीरता का पता चल जाता है। 
इस मर्ज़ में पोषण भी तपेदिक रोग के इलाज़ की तरह इलाज़  का ज़रूरी  हिस्सा होता है ,दूध को एक सम्पूर्ण आहार माना जाता है क्योंकि दूध  तमाम तरह के प्रोटीनों। खनिज ,विटामिनों से भरपूर है।आहार संबंधी वर्जनाएं बड़ा नुक्सान और नै समस्याएं पैदा करतीं हैं तपेदिक में भी यहां भी। दिन भर में दो मर्तबा दूध पीने  से  कई समस्याओं से बचा जा सकता है। 

पुराने लोग देसी घी रबड़ी आदि भी लेने की भी सलाह देते थे दमा में भी ,यहां भी। अलबत्ता खून में चर्बी बढ़ी होने पर ऐसा नहीं किया जा सकता। 

अलबत्ता खट्टा ,बासा छाछ(butter milk ) ,दही आदि का सेवन  न करें। फल और हरी तरकारियाँ (सब्ज़ियां )यहां भी फायदेमंद हैं। सामिष भोजन की भी मनाही नहीं है। 

टीकाकरण से बचाव संभव   

दवा -दारु ,इन्हेलर के अलावा  फ्लू वेक्सीन जहां हर साल लेनी पड़ती हैं यहां पांच साल में एक मर्तबा न्यूमोकोकल वेक्सीन भी साथ में लेनी पड़ती है। 

कसरत और परम्परागत योग यहां भी फायदेमंद 

प्राणायाम से जहां सांस लेने की क्षमता में इज़ाफ़ा होता है वहीँ फेफड़े भी सशक्त होते हैं।

चंद्र अनुलोम -विलोम,कपाल भाति ,धनुरासन ,उष्ट्रासन ,भुजंगासन ,गोमुखासन ,गरुणासन के अपने फायदे हैं। किसी योग्य 'रामदेव' की सलाह लें।   

संदर्भ -सामिग्री :https://www.patrika.com/health-news/milk-and-dairy-products-are-not-injurious-in-cough-problems-3754810/


कृपया इसे भी देखें :

Pneumococcal Vaccination
https://www.cdc.gov/vaccines/vpd/pneumo/index.html 
   

Comments

Popular posts from this blog

Climate change is already here, and heat waves are having the biggest effect, report says(HINDI )

अनुमानों और अटकलों के दौर से निकलके अब जलवायु परिवर्तन ने एक स्थाई चोला पहन लिया है। अब यह पैरहन भी तार -तार हो चला है। चलिए कुछ विज्ञान की प्रामाणिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हालिया रिपोर्ट के आलोक में अपनी बात कहने का प्रयास करते हैं : जलवायु परिवर्तन के प्रभाव न सिर्फ हमारी सेहत को ही अपना निशाना बना रहे हैं चौतरफा उत्पादकता ,खाद्यान्नों की आपूर्ति पृथ्वी की सतह के बढ़ते तापमानों का ग्रास बन रही है। बे -इंतहा गर्मी का खमियाज़ा दुनियाभर के बुजुर्गों को ज्यादा भुगतना पड़  रहा है।योरोप में ऐसे ही  उम्रदराज़ लोगों का ४२  फीसद ,पूरबी मेडिटरेनियन क्षेत्र का ४३ फीसद ,३८ फीसद अफ्रिका और ३४फीसद एशिया में बढ़ते तापमानों की लपेट में आया है। बे -हद की गर्मी और बे -इंतहा की  सर्दी ६५ से पार के लोगों पर भारी पड़ती है।  हाल फिलाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ ने बतलाया कि २०१७ में भूमंडलीय स्तर पर कार्बन उतसर्जन (Carbon Emission ) सर्वाधिक स्तर को छू गया था। जन सेहत पर इसके दुष्प्रभावों के फलस्वरूप काम के घंटे कम होने से उत्पादकता गिरी है ,प्रति एकड़ प्राप्ति फसलों की कमतर हुई है ,मच्छरों से पैदा होने

15 Amazing Benefits & Uses Of Sapodilla / Chikoo

Image: Shutterstrock Sapodilla, mainly known as Chikoo in the Indian sub continent, is a member of the Sapotaceae family in Central America. In Mexico, sapodilla is grown commercially for making chewing gum. The consumption of sapodilla is recommended in herbal medicine as it has an uncountable number of medicinal uses. The sapodilla fruit is brown in color. It has a kiwi fruit-like texture but the outer surface is without any fuzziness. The pulp of the fruit is unripe with sticky latex called saponin. As Sapodilla ripens later on, the white latex gradually disappears. Sapodilla contains three to five black, smooth, shiny, bean-shaped inedible seeds located at the center of the fruit.  The taste of Sapodilla is nice and it can be compared to some extent to pears.   Types of Sapodilla or Sapota: 1. Brown Sugar: This member of the Sapodilla family was introduced in 1948. This version is granular, fairly sweet, luscious and very aromatic. Its structure is quite

Polio cases no longer declining; WHO fears global resurgence(HINDI )

२०१४ के सिर्फ चार साल बाद एक बार फिर २०१८ में विश्वस्वास्थ्य संगठन ने फालिज की चपेट में ले आने वाले रोग पोलियो को एक आलमी आपदा घोषित  कर दिया है। बेशक १९८८ में पोलियो दुनियाभर के १२५ देशों के लिए एक महामारी बना हुआ था जो हर बरस दो लाखपचास हज़ार नौनिहालों को चपेट में ले रहा था ,आज भले दुनिया भर में इसके कुल २७ मामले ही दर्ज़ हुए हैं जो गत वर्ष के २२ मामलों से पांच ही ज्यादा हैं। लेकिन रोग का इस तरह बने रहना एक रुख की और संकेत करता है जो भविष्य के लिए शुभ नहीं है। आशंका है यह एक बार फिर आलमी स्तर की महामारी बन सकता है। पुरानी कहावत है दुश्मन को कभी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। और यह भी कि दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक के पीता है। विश्वस्वास्थ्य संगठन ने आशंका जतलाई है ,मीसल्स (measles )की तरह यह रोग भी फिर से अपना सर दुनिआभर में  उठा सकता है। गौर तलब है भूमंडलीय स्तर पर मीसल्स (मीज़ल्स ,measles )ने गत वर्ष (२०१७ ) एक लाख दस हज़ार लोगों को मौत के मुंह में सुला दिया था। इसके  विषाणु की तीन किस्में पोलियो टाइप १ ,पोलियो टाइप २ ,पोलियो टाइप ३ बतलाई गेन हैं। इन से पैदा  रोग के लक्षणों को पहचान