Skip to main content

Vote Earth

शख्सियत : डेनिस एलन हायेस

उन्तीस अगस्त उन्नीस सौ चौवालिस को अमरीका के विस्कॉन्सिन राज्य में जन्में डेनिस एलन हायेस हमारे वक्त के एक नामचीन पर्यावरण विज्ञानी एवं पर्यावरण पारिस्थितिकी एक्टिविस्ट हैं आपने अपना सारा जीवन मानव -पारितंत्र ,उद्योगिक पारिस्थितिकी के बारे में जागरूकता पैदा करने में लगा दिया है। आप पृथ्वी दिवस त्यौहार के सह -जन्मदाता हैं।आप वैकल्पिक ऊर्जा मामलों के माहिर हैं।

आपने जिस महायज्ञ की शुरुआत की उसका ही  सहज प्रतिफल  था 'पृथ्वी दिवस'।बेशक इसके निमित्त बने एक अमरीकी सीनेटर।  पहला पृथ्वी पर्व २२ अप्रैल १९७० को मनाया गया। आज दुनियाभर  के तकरीबन एक सौ अस्सी मुल्क पृथ्वी के पर्यावरण ,पारितंत्रों ,हमारी हवा -पानी -मिट्टी की गुणवत्ता को बनाये रखने के महायज्ञ में अपनी -अपनी आहुति डाल रहें हैं तो इसका श्रेय आपको और सिर्फ आपको ही जाता है ।

अमरीकी  विश्वविद्यालयीय परिसरों में हमारी युवा भीड़ का ध्यान इस ओर  खींचने में आपका अप्रतिम योगदान रहा है। नारी विमर्श ,राजनीति आदि से युवा भीड़ को निकालकर पर्यावरण पारितंत्रों से जोड़ने वाली  हस्ती का नाम है हायेस।

वाशिंगटन राज्य के एक छोटे से कसबे कामास में आपका आरम्भिक लालन पालन हुआ।यहां के एक स्कूल का नाम आपके सम्मान में हायेस हाई स्कूल कामास रखा गया है।आपके पिता श्री कोलम्बिआ नदी के किनारे पर एक पेपर मिल में काम करते थे अत : आपने करीब से देखा कि कैसे इस उद्योग से निकला अपशिष्ट बिना उपचारित किये ही नदी के आँचल को गंदला रहा है यह भी, किस प्रकार यहां काम करने वाले मजदूर सुरक्षा गिअर के बिना ही काम करने को विवश हैं।

स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय से आपने इतिहास विषय में ग्रेजुएशन ,(स्नातक) की उपाधि प्राप्त की।

 छात्र नेता के तौर पर विएतनाम युद्ध के दौरान एक सक्रीय पर्यावरण सचेत छात्र, एक समर्पित एक्टिविस्ट  की भूमिका निभाई। स्टेनफोर्ड लॉ  स्कूल से इसके बाद आपने वकालत की उपाधि प्राप्त की। इससे पूर्व आपने हारवर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े कैनेडी स्कूल ऑफ़ गवर्नमेंट में भी अध्ययन  किया था। सीनेटर  गेलॉर्ड के आवाहन पर आपने हार्वर्ड को छोड़ पृथ्वी दिवस पर्व को एक वार्षिक त्यौहार में तब्दील करने में विधाई भूमिका निभाई।आप पर्यावरण एडवोकेट हैं।

वर्ष २०२० के लिए आपकी मंशा बिलकुल दो टूक है:

 इस बरस जबकि तकरीबन ६५ अति महत्वपूर्ण चुनाव संपन्न होने हैं जिनमें अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव अहम माना जा रहा है। आपने आवाहन किया है उस मौके को (नवंबर ) फिर पृथ्वी दिवस में तब्दील किया जाए। आपका एक ही आवाहन है युवा भीड़ के लिए नारा है :वोट  अर्थ

उसी उम्मीदवार को युवा जिताएं -जो पर्यावरण को एक ऑर्गेनिज़्म एक जीवंत इकाई मानता हो ठीक रीढ़दार -स्तनपायी -आधुनिक- पशु 'होमोसैपिएंस' की तरह। हमारे वज़ूद से जुडी है पर्यावरण की नव्ज़ ,पर्यावरण पारिस्थितिकी के वज़ूद से जुड़ा है हमारा होना इज़्नेस। भले आलमी लोकडाउन के इस दौर में हम खुले में न मना पाएं पृथ्वी पर्व ,डिजिटल रूप पर कोई रोकटोक नहीं है। 

आप सौर ऊर्जा शोध संस्थान (लोकप्रिय नाम नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी )के अनेक बरसों तक मुखिया भी रह चुकें हैं।

वाशिंगटन की बुलिट फाउंडेशन का आपको १९९२ में अध्यक्ष बनाया गया आज आप एक प्रमुख यौद्धा गिने जाते हैं पर्यावरण और ऊर्जा नीति निर्धारण के।

सौर ऊर्जा पर एक किताब  पूरा लिखने के एवज में ही आपको रोबर्ट बोस्च अकादमी का फेलो बनाया गया।

आपका मानना है पृथ्वी को रहने लायक बनाये रखने के कारगर प्रयासों में हम पहले ही पच्चीस साल पिछड़ गए हैं।अब और अधिक देरी प्राणघातक साबित हो सकती है।

यह पर्यावरण आपादकाल है।

 बे -शक प्रचंड समुद्री तूफानों ,टाइफून ,हरिकेन आदिक को अब हम मुल्तवी नहीं कर सकते तो भी बहुत कुछ किया जा सकता है।

सब रास्ते कभी भी बंद नहीं होते एक रास्ता फिर भी खुला रहता है। हमारी इच्छा बलवती होनी चाहिए -जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ .....

आप लेखक हैं किताब कौएद के। बेहतरीन जनसेवा के लिए आपको जेफरसन अवार्ड से नवाज़ा जा चुका है।  वर्ष १९९ ९ में अमरीकी साप्ताहिक पत्रिका ने आपको हीरो ऑफ़ दी प्लेनेट घोषित किया।

He is also the author of Cowed: The Hidden Impact of 93 Million Cows on America's Health, Economy, Politics, Culture, and Environment [1] and Rays of Hope. 

In Cowed, globally recognized environmentalists Denis and Gail Boyer Hayes offer a revealing analysis of how our beneficial, centuries-old relationship with bovines has evolved into one that now endangers us.


ISBN-13: 978-0393239942

https://www.youtube.com/watch?v=A-8MLhp-HPc


Denis Hayes
Denis Hayes 2000.jpg
Hayes in 2000
Born
Denis Allen Hayes

August 29, 1944 (age 75)[1]
Alma materStanford University
Kennedy School of Government
Stanford Law School
OccupationEnvironmental advocate
Known forCoordinating the first Earth Day,
founding the Earth Day Network, construction of the Bullitt Center
Denis Allen Hayes (born August 29, 1944)पृथ्वी दिवस पर विशेष 

Comments

Popular posts from this blog

15 Amazing Benefits & Uses Of Sapodilla / Chikoo

Image: Shutterstrock Sapodilla, mainly known as Chikoo in the Indian sub continent, is a member of the Sapotaceae family in Central America. In Mexico, sapodilla is grown commercially for making chewing gum. The consumption of sapodilla is recommended in herbal medicine as it has an uncountable number of medicinal uses. The sapodilla fruit is brown in color. It has a kiwi fruit-like texture but the outer surface is without any fuzziness. The pulp of the fruit is unripe with sticky latex called saponin. As Sapodilla ripens later on, the white latex gradually disappears. Sapodilla contains three to five black, smooth, shiny, bean-shaped inedible seeds located at the center of the fruit.  The taste of Sapodilla is nice and it can be compared to some extent to pears.   Types of Sapodilla or Sapota: 1. Brown Sugar: This member of the Sapodilla family was introduced in 1948. This version is granular, fairly sweet, lu...

Grim IPCC warning: Climate extremes to go up & up: India needs urgent disaster-proofing. Begin by quantifying the risks for every region

  FACEBOOK   TWITTER   LINKEDIN   EMAIL Roxy Koll The writer is a climate scientist at the Indian Institute of Tropical Meteorology and contributor to IPCC reports Every seven years or so, a report is released by the Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) on how human-induced climate change is gathering pace and as a result, how extreme weather events have reached our doorsteps. So, what is new in the sixth assessment report of IPCC released yesterday? The key takeaway from this report is that the mitigation strategies submitted by nations through the Paris Agreement are insufficient to keep the global temperature increase within the 1.5°C or even 2°C limits. It is also important to note that globally, we have failed to even reach near the committed curbs on emissions. Deluge: Indian Ocean is warming at the fastest rate This points to the chilling fact that we are going to face way more challenging climate extremes in the near future. The IPCC report tells ...

दिल्ली की जहरीली हवा छोटे-छोटे बच्चों को बना रही है डायबिटिक

नई दिल्ली:  दिल्ली में  वायु प्रदूषण  का स्तर गुरुवार को भी खतरनाक रहा। सुबह पूरी दिल्ली स्मॉग में ढंकी थी। दिल्ली में प्रदूषण अब आम बात हो गई है...लेकिन इसके जो आफ्टर इफैक्ट हैं....वो बेहद डराने वाले हैं। अब तक मेडिकल साइंस में ये माना जाता है कि डायबीटीज की बड़ी बजह हेरिडिट्री है, खाने-पीने में गड़बड़ी और लाइफ स्टाइल में लापरवाही डायबिटीज का खतरा ज्यादा हो जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पॉल्यूशन के कारण भी डायबिटीज होती है। जहरीली हवा खासतौर पर छोटे छोटे बच्चों को डायबिटिक बना रही है। अमेरिका के सेंट लुई में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में हुई रीसर्च में ये खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों ने साढ़े आठ साल तक ऐसे वार वेटरन्स पर रीसर्च की जिनकी फैमली हिस्ट्री में डायबीटीज नहीं था। इन लोगों पर PM 2.5 पार्टिकल्स के असर की स्टडी की गयी। इसमें कई केसेज ऐसे मिले जिन्हें पॉल्यूशन की वजह से डायबीटीज हुआ था। इस स्टडी से पता चला है कि 2016 में दुनिया भर में जितने नए डायबीटीज के केसेज़ सामने आए थे उनमें से 32 लाख लोग सिर्फ पॉल्यूशन की वजह से डायबीटीज के शिकार हुए। ये आंकड...